जय बेरी वाली माता


Ahir Majra Jain Pariwar

माता भीमेश्वरी देवी - खुशी और सफलता की देवी, झज्जर जिले, हरियाणा के बेरी शहर में स्थित है। महाभारत के समय से देवी और मंदिर की पूजा की जाती है।

मंदिर के महंत सेवापुरी बताते हैं कि बेरी में माता भीमेश्वरी देवी का सबसे प्राचीन मंदिर है। महाभारतकाल के दौरान जब कौरवों व पांडवों का युद्ध चल रहा था तो अपनी जीत के लिए महाबली भीम पाकिस्तान में स्थित हिंगलाज पर्वत पर मौजूद कुलदेवी को लाने के लिए गए थे। उस समय कुल देवी ने शर्त रखी थी कि वे अगर उन्हें रणक्षेत्र तक अपने कंधे पर लेकर जाएंगे तो वे उनके साथ चलने के लिए तैयार हैं। जबकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्होंने कहीं भी उन्हें अपने कंधे से उतार दिया तो वे वहीं पर विराजमान हो जाएंगी। जिसके बाद पांडव पुत्र भीम कुलदेवी को लेकर बेरी क्षेत्र में आए तो उन्हें लघुशंका हुई तो उन्होंने कुलदेवी को एक पेड़ के नीचे उतार दिया और लघुशंका के लिए चले गए। जब भीम वापिस आकर कुल देवी को उठाने लगे तो उन्होंने भीम को अपनी शर्त याद दिलाई और वे वहीं विराजमान हो गई।

बताया यह भी जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद दुर्योधन की माता गांधारी ने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर में इसके बाद से ही नवरात्रों के अवसर पर वर्ष में दो बार मेला भी लगता है। मेले में सप्तमी व अष्टमी के दिन सबसे ज्यादा श्रद्धालु माता के मंदिर में माथा टेकने के लिए आते हैं।

हर साल देश भर से लाखों लोग "नवरात्र" के पवित्र अवसर पर देवी का आशीर्वाद लेने के लिए यहां इकट्ठा होते हैं। नवरात्रों के इस दिव्य मौसम में नव विवाहित जोड़ों ने वैवाहिक गाँठ को फिर से बाँधकर नए जन्म के नर बच्चे के मुंडन समारोह का प्रदर्शन किया।

भक्तों ने देवी के आशीर्वादों की मांग करने के लिए बड़े पैमाने पर हर साल दो बार प्रसिद्ध भिक्षुवरी देवी मंदिर का दौरा किया। दोनों मंदिरों में वे देसी घी के 'ज्योति' को प्रकाश करते हैं और देवी को नारियल और प्रसाद की पेशकश करते हैं।

हर दिन भमेश्वरवाली की मूर्ति मंदिर के अंदर 12.30 पी.एम. पर बहारवाला मंदिर से ली जाती है और फिर से बहादरवाड़ा मंदिर को 5.पी.एम. में लाया जाता है।

कैसे पहुंचे बेरी :
माता के मंदिर में दिल्ली से बहादुरगढ होते हुए झज्जर के रास्ते व छारा, दुजाना के रास्ते बेरी पहुंच सकते हैं। भिवानी व हिसार से कलानौर के रास्ते बेरी आ सकते हैं। चंडीगढ से करनाल, पानीपत, रोहतक होते हुए डीघल से बेरी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रेवाड़ी से वाया झज्जर होते हुए व महेंद्रगढ़ से चरखी दादरी, छुछकवास, जहाजगढ़ होते हुए श्रद्धालु बेरी मंदिर में पहुंच सकते हैं।


Jai Kul Devta


Ahir Majra Jain Pariwar